उत्तर - लीची के फलों के गुच्छे को १५-२० से.मी. टहनी सहित काटना चाहिये । वृक्षों की कटाई-छंटाई फल तोड़ने के पश्चात इस उद्देश्य से की जाती है कि वृक्ष का आकार एक निश्चित सीमा से अधिक न बढ़े । साथ -साथ वृक्ष के सम्पूर्ण भाग मे सूर्य के प्रकाश का तथा वायु के संचार का समुचित आवागमन हो सके । फलदार वृक्षों में नवम्बर से जनवरी माह तक सिंचाई न करें । फल लग जाने के बाद अप्रैल से लेकर जून तक ७-१० दिन के अन्तर पर सिंचाई करें । लीची के १० साल के पौधे को १०० कि.ग्रा. गोबर की सड़ी खाद, ६०० ग्राम फासफोरस तथा पोटाश जुलाई या सितम्बर -अक्टूबर माह में देनी चाहिये । इसके साथ ४०० ग्राम नाइट्रोजन भी प्रति पौधा दिया जाना चाहिये । नाइट्रोजन की ४०० ग्राम मात्रा फरवरी माह में तथा ४०० ग्राम मात्रा फल लग जाने के बाद अप्रैल माह में देनी चाहिये ।
Pruning
उत्तर - लीची के फलों के गुच्छे को १५-२० से.मी. टहनी सहित काटना चाहिये । वृक्षों की कटाई-छंटाई फल तोड़ने के पश्चात इस उद्देश्य से की जाती है कि वृक्ष का आकार एक निश्चित सीमा से अधिक न बढ़े । साथ -साथ वृक्ष के सम्पूर्ण भाग मे सूर्य के प्रकाश का तथा वायु के संचार का समुचित आवागमन हो सके । फलदार वृक्षों में नवम्बर से जनवरी माह तक सिंचाई न करें । फल लग जाने के बाद अप्रैल से लेकर जून तक ७-१० दिन के अन्तर पर सिंचाई करें । लीची के १० साल के पौधे को १०० कि.ग्रा. गोबर की सड़ी खाद, ६०० ग्राम फासफोरस तथा पोटाश जुलाई या सितम्बर -अक्टूबर माह में देनी चाहिये । इसके साथ ४०० ग्राम नाइट्रोजन भी प्रति पौधा दिया जाना चाहिये । नाइट्रोजन की ४०० ग्राम मात्रा फरवरी माह में तथा ४०० ग्राम मात्रा फल लग जाने के बाद अप्रैल माह में देनी चाहिये ।