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Export of natural rubber from India

The export of Natural Rubber can be done by getting an export license prom Rubber Board. with out the permission of Rubber board a single kg can't be exported. We the people of India expects that the export of natural rubber is a remedy to solve the problem of surplus stock. We will get all details of export from Rubber Board under RTI Act. the monthly rubber statistical news and Annual Rubber statistics are available from the Rubber board. The latest annual Rubber statistics Vol 35 of 2012 available at Rs 500 and postage 36 rupees. I collected the same and an analysis of Natural Rubber compiled as google document  available for the public.

भारतीय रबर बोर्ड द्वारा प्रसारित मासिक रबर सांख्यिकी समाचार और वार्षिक भारतीय रबर सांख्यिकी के विश्लेषण से जो चित्र सामने आयेगा वह देखकर हैरान होंगे। सन. 2004-05 से लेकर सन. 2011-12 तक नई लगाया रबर की खेती की वृद्धी 177200 हेक्ट र हैं। यह अन्य फसलों से बदलकर रबर की खेती शुरू की हैं। हरसाल शुरू की भंडार, उत्पादन, आयात मिलजाने पर कुल भंडार बनता हैं। कुल भंडार से खपत और निर्यात घटाने से बचत भंडार नजर आना हैं। लेकिन यह  बचत भंडार मिलने केलिये लापता आंकडे जोडना होगा। यह कई सालों में रबर की भंडार कम होगा तब कुच्छ आंकडे जोडकर ज्यादा भंडार दिखायेगा। कभी कभी ज्यादा भंडार होते वक्त कम करके भी प्रसारित करेगा। इसका नतीजा किसानों को असली दाम नहीं मिल सकेगा। सन. 2011-12 में 167250 टन बचत भंडार में कम करके दिखाया। उस कारण अगले साल रबड् की दाम नीचे को आया। अधिक भंडार होते हुये आयात करने पर एंटी डंपिंग शुल्क लगा सकते हैं। टयर निर्माताओं को मदद करनेकेलिये रबर सांक्यिकी में यह हेराफेरी कीपूर्ण रूप पर यहाँ देख सकते हैं।

     

इसीतरह आयात और निर्यात अंतरराष्ट्रीय दाम या देशीय दाम ऊपर नीचे होनेसे नहीं हैं। सन. 2011-12 में 27145 टन 441.3 करोड रुपये की निर्यात162.57 रुपये की हिसाब से था। कोटयम बाजार में आर.एस.एस 4 की दाम 208.05 रुपये प्रति किलो था तो यह निर्यात किसी को मदद करने केलिये ही था। 213785 टन 4248.2 करोड रुपये की आयात 198.71 रुपये प्रतिकिलो की हिसाब से था। उस वक्त पर बाङ्कोक में आर.एस.एस - 3 केलिये 209.15 रुपये प्रतिकिलो था। निर्यात करनेवाला परिष्कृत रबर की निर्यात के वजन की हिसाब से उसके अनुपात की शून्य प्रतिशत शुल्क में असंस्कृत स्वाभाविक रबर आयात करने की हक हैं।

आयात, निर्यात की गई वजन और उसके दाम और हेरापेरी आंकडे की रकम देशीय बाजार कोटयम की आर.एस.एस 4 की हिसाब से करोडोंकी भष्टाचार यहाँ देख सकते हैं।  इसी की सपूत नीचे ग्राफ में देख सकते हैँ। सन. 2006 अगस्ट में पाला रबर मार्कटिंग सोसैटी ने 2.11 रुपये प्रतिकिलो की हिसाब से आयात की थी जब की कोट्टयम में 92 रुपये थे।

देशीय मूल्य से नीचे की निर्यात किसलिये किया जाता हैं। आर.टी.ऐ आक्ट की जरिये उपलब्द की गई कुच्छ असली पन्ने सिर्फ मेरे पास हैं। क्यों की original covering letters मुझे  information के नाम दी गई। ऐसे नहीं देना चाहिये क्यों कि और कोई यही पन्ने माँगेगा तो नहीं दे पायेगा।  प्राप्त पन्ने से आंकडे इकटा करने पर  ऐसे प्रसारित  कर सकते हैं।

                  

बाजार में आँखों से देखकर रबरषीट की दर्जा का निर्णय लेने का सैलियत रबर बोरड् की देन हैं। पुराने जमाने की षीट की दर्जा निर्णय करने की नमूना ग्रीनबुक् (Green Book) जो अन्तरराष्ट्रीय मानते हैं। परंतू दूकानों में नीचे की दर्जे में खरीदकर ऊँचे दर्जे में बेचते हैं। नये जमाने में जो प्रोद्योगिकी की सहायता से खरीद और बेच एक ही दर्जा हैं करके न्याय हो सकते हैं। अन्य राज्यों से खरीद की चिटी मिलने पर इन दूकानदार को एक हफ्ता के अन्तर सोलह टन की ट्रक भेजने की सौलियत हैं। इस बीच रबर की दाम कितना गिरायेगा उतना इनके मुनाफा बडते हैं। ट्रक लोड बेजनेकेलिये भी रबर बोरड् से फोम एन लेना होगा। एक किलो रबर पर रबर बोर्ड दो रुपये की सेस वसूल करते हैं। राज्य को मिलनेवाला वाल्यू आडड् टाक्स कम करनेकेलिये आयात की प्रेरणा भी देते हैं। रबर की दामों की नियन्त्रण मलयालम समाचार पत्र मनोरमा के हैं जो उनके ही ग्रूप के एंआरएफ टयर को मुनाफा होता हैं। केरल की कोने कोने से अच्छे षीट कम दामों में उनके भंडार में पहूँचते हैं। अन्य निर्माताओं को इससे नुक्सान होगा। अच्छे षीट च्छोटे दूकानों में इसी मनोरमा की आरएसएस 5 बोलकर खरीदते हैं जो उसी दर्जे की दाम रबर बोर्ड की सैट पर तीन रुपये ऊँचा हैं। इन अच्छे षीट अन्य निरमाता जो उत्तर बारत के हैं उनको महीं मिलेगा। नमूने की तौर पर किसी भी दूकान में रबर षीट और उसके दर्जे प्रदरशित नहीं करते। रबर बोरड् की अधिक सदस्य सब राष्ट्रीय पार्टियों से हैं। लाटेक्स की दाम हर दिन प्रसारित होता हैं लेकिन महीने की औसत और महिने की रबर आँकडे समाचार में बहूत अंतर होते हैं। 2012-13 की आँकडे की विस्लेषण यहाँ मिलेगा।

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