सोयाबीन की फली द्देदक कीट:
पहचान:
इनकी सूडी फलियों को खाकर नुकसान पहुंचाती है।
उपचार:
१. बुन्देलखण्ड में मध्यम अवरोधी प्रजाति गौरव को बोया जाय।
२. इस कीट की रोकथाम के लिये निम्न कीटनाशको में से किसी एक का द्दिडकाव करना चाहियें।
(क) मिथाइल पैराथियान ५० ई.सी. १ लीटर प्रति हेक्टर या
(ख) क्लोरोपायरीफास (२० ई०सी०) १.५ लीटर प्रति या क्यूनालफास (२५ ई.सी.)
ग्रीन सेमी लूपर कीट:
पहचान:
इसकी सूड़ियाँ शीघ्र पकने वाली प्रजातियॉ मे फूल निकलते समय उसकी कलियों को खा जाती है। प्रथम फूल को समाप्त पर दुबारा पुष्प बनते है जिनमें फलियॉ बनने पर उनमें दाने नही बनते ।
उपचार:
फसल मे फूल निकलना शुरू हो तो इन्डोसल्फान दवा का छिड़काव करे।
सोयाबीन की बिहार रोमिल सूडी:
पहचान:
प्रारम्भिक अवस्था मं सूड़ियाँ एकत्र होकर पत्तियों की सतह पर रहकर हरित पदार्थ खुरचकर खाती है। बाद में पूरे खेत मे बिखरकर पत्तियों को खाकर पौधों को नंगा कर देती है।
उपचारः
१. प्रारम्भिक अवस्था में गिडारें झुण्ड में पत्तियों पर रहती है। पत्तियां तोड़कर नष्ट कर दे।
२. इण्डोसल्फान ३४ ई.सी. १.२५ लीटर या क्यूनालफास २५ ई.सी. १.५ लीटर का १००० लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टर २ से ३ बार आवश्यकतानुसार छिड़काव करें।
गार्डिल बिटिल (सोयाबीन)
पहचान:
वयस्क मादा तने अथवा टहनियों पर दो द्दल्ले बनाती है जिसके बीच में पीले रंग के अण्डे देती है। अण्डे से निकली गिडार अन्दर अन्दर खाती है। पौधा सूख जाता है।
उपचार:
१. ग्रीष्मकालीन जुताई करनी चाहिये।
२. सम्भावित क्षेत्रों में बुवाई के समय फोरेट १० जी. १० किग्रा. प्रति हेक्टर खेत में मिलायें या कार्बोयूरान ३ जी. ३० किग्रा. प्रति हेक्टर खेत में मिलायें।