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सोयाबीन की खेती

सूत्रकृमि:

सूत्रकृमि जनित बीमारियॉ रोकने के लिये हरी खाद गर्मी की गहरी जुताई या खलियॉ की खाद का उचित मात्रा में प्रयोग किया जाय।

मुख्य बिन्दु:

१.  क्षेत्र विशेष के लिए सस्तुत प्रजातियों के प्रमाणित बीजों का प्रयोग करे। सोयाबीन बीज का अंकुकरण ७५-८० प्रतिशत से कम नही होना चाहिये।

२.  बीज का उपचार करें एवं कल्चर का प्रयोग अवश्य करे।

३.  बीज को ३-४ सेमी. से अधिक गहरा न बोये।

.  संन्तुलित उर्वरकों का प्रयोग बुवाई के समय ही बेसल डे्रसिंग में किया जाय।

५.  सामयिक निराई गुडाई अवश्य करे।

.  वर्षा के अभाव मे फूल आने की अवस्था में सिचाई अवश्य करें।