Submitted by deepalitewari on Fri, 20/11/2009 - 11:17
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वानस्पतिक विवरण
- पौधे अल्पजीवी, शाकीय एकवर्षी, नीलाभ होते हैं जो पर्णक प्रतानों द्वारा ऊपर चढ़ता है।
- कल्टीवार बौने, अर्ध बौने या ऊँचे हो सकते है।
- मूलतंत्र मूसला जड़ को छोड़कर मजबूती के साथ विकसित नहीं होता है।
- तना पतला, गोल एवं कमजोर होता है।
- पत्तियां पर्णकों के तीन जोड़ों और अंतस्थ शाखित प्रतान से युक्त पिच्छाकार होती है, अनुपर्ण बड़े और पत्ती सदृश, अण्डाकार होते है: पर्णक अण्डाकार या दीर्घ वृत्तीय संख्या में 6 तक और पूरे लहरदार किनारे से युक्त होता है।
सब्जी मटर की पत्ती
- पुष्प अकेला सहायक या संख्या में 3 तक प्रति असीमाक्ष होते हैं, सहायक अधिक छोटे होते हैं: बाह्मदलपुंज तिरछा, पालियॉ असमान होती है: दलपुज सफेद गुलाबी या बैंगनी, नौतल (कील) छोटा, अंतर्वक्र कुंठाग्र, पुंकेसर द्विसंधी, तंतु विस्तृत, परागकोश एकसमान, वर्तिका हँसियाकार, चपटी, भीतरी पृष्ठ पर दाढ़ीदार, वर्तिकाग्र सूक्ष्म, अंतस्थ होते हैं। फलियाँ फूली हुई या संपीड़ित, 12-15 से0 मी0 तक के वृक्षों पर सीधी या टेढ़ी और 10 बीज से युक्त होती हैं।
मटर के पौधे के पुष्प
मटर की फलियाँ
o वानस्पतिक अवस्था o जनन अवस्थाएं : इसमें पुष्पन पूर्व अवस्था, पुष्पन अवस्था, फली शुरुआत अवस्था, फली भराव एवं परिपक्वता अवस्थाएं सम्मिलित होती है।
- बीज कोणीय या गोलाकार, संख्या में 4-10 चिकने या झुर्रीदार, भू्रणपोष नहीं, हरे, धूसर या भूरे, कभी - कभी कर्बुरित होते हैं।
- सब्जी मटर की विभिन्न अवस्थाएं ये है :-
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