Submitted by deepalitewari on Mon, 07/12/2009 - 16:32
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मृदुरोमिल फफूंदी: सब्जी मटर का कवक रोग
रोगकारी जीव - पेरोनोस्पोरा विसिआइ (पहले पे. पाइसाइ)
- यह मृदोढ़ (मृदा वाहित) कवक रोगजनक से उत्पन्न होता है।
- रोगजनक बीज द्वारा आंतरिक या बाह्य रूप से संचरित नहीं होता है।
लक्षण:
- पत्ती के निचले पृष्ठ पर भूरी सी सफेद फफूंददार वृध्दि प्रकट होती है और पत्ती के विपरीत ओर पीला सा क्षेत्र प्रकट होता है।
- संक्रमित पत्तियां पीली होकर मर जाती हैं यदि मौसम ठंडा एवं नम होता है।
- तने (डंठल) विकृत एवं अविकसित रह जाते हैं।
- फलियों पर भूरे धब्बे प्रकट होते हैं और फलियों के भीतर फफूंदी उग सकती है।
नियंत्रण के उपाय:
- रोग प्रतिरोधी या सहिष्णु कल्टीवार उगाइए।
- 2-3 वर्ष का फसल-चक्र अपनाइए।
- कटाई के बाद रोगग्रस्त मटर के भूसे को जला दीजिए।
- रोग के अच्छा नियंत्रण के लिए सात दिनों के अन्तर पर 0.25 प्रतिशत मैन्कोजेब का छिड़काव कीजिए।
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