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मृदुरोमिल फफूंदी: सब्जी मटर का कवक रोग

मृदुरोमिल फफूंदी: सब्जी मटर का कवक रोग

रोगकारी जीव - पेरोनोस्पोरा विसिआइ (पहले पे. पाइसाइ)

  • यह मृदोढ़ (मृदा वाहित) कवक रोगजनक से उत्पन्न होता है।
  • रोगजनक बीज द्वारा आंतरिक या बाह्य रूप से संचरित नहीं होता है।

लक्षण:

  • पत्ती के निचले पृष्ठ पर भूरी सी सफेद फफूंददार वृध्दि प्रकट होती है और पत्ती के विपरीत ओर पीला सा क्षेत्र प्रकट होता है। 
  • संक्रमित पत्तियां पीली होकर मर जाती हैं यदि मौसम ठंडा एवं नम होता है।
  • तने (डंठल) विकृत एवं अविकसित रह जाते हैं।
  • फलियों पर भूरे धब्बे प्रकट होते हैं और फलियों के भीतर फफूंदी उग सकती है।


सफेद फफूंददार वृध्दि










 

नियंत्रण के उपाय:

  • रोग प्रतिरोधी या सहिष्णु कल्टीवार उगाइए।
  • 2-3 वर्ष का फसल-चक्र अपनाइए।
  • कटाई के बाद रोगग्रस्त मटर के भूसे को जला दीजिए।
  • रोग के अच्छा नियंत्रण के लिए सात दिनों के अन्तर पर 0.25 प्रतिशत मैन्कोजेब का छिड़काव कीजिए।


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