Submitted by deepalitewari on Mon, 23/11/2009 - 17:10
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मूल विगलन
रोगकारी जीव - राइजोक्टोनिया सोलेनाइ
- फसल की अगेती बोआई करने पर इससे फसल की पर्याप्त क्षति उत्पन्न होती है।
लक्षण : तरूण (छोटे) पौधों की जड़ों एवं बीजपत्राधार पर छोटे, लम्बें, धसे हुए एवं भूरे रंग के क्षतचिन्ह् दिखाई देते हैं। बाद में सबसे अधिक निचली पत्तिायाँ पीली पड़ जाती है और उसके बाद म्लानि उत्पन्न होती है।
राइजोक्टोनिया मूल विगलन के लक्षणों को प्रर्दशित करता मटर का पौधा मूल विगलन से प्रभावित सब्जी मटर का एक भूखण्ड नियंत्रण के उपाय:
- बुरी तरह से रोगग्रस्त क्षेत्रों में अगेती बोआई मत कीजिए।
- 3 ग्राम/कि.ग्रा. बीज की दर से थायरम या कैप्टान से बीजोपचार।
- लक्षण प्रकट होने की प्रारम्भिक अवस्थाओं में 0.2 प्रतिशत कैप्टान या डाइफोल्टान का फसल पर छिड़काव करने पर रोग का आगे विकास रूक जाता है।
- ग्रीष्मकाल में गहरी जुताई करके मृदा को खुला छोड़ देने पर कवक मर जाते हैं।
- 0.1% ब्रासीकाल या 0.2% डाइथेन एम.-45 + 0.1% बेवलेट या 0.3% डाइफोल्टान से मृदा तर-बतर करना।
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