मधुमक्खी पालन
मधुमक्खी पालन कृषि का एक महत्त्वपूर्ण अंग है. इससे मधु तो प्राप्त होता ही है साथ ही मधुमक्खियों के माध्यम से बेहतर पर-परागण के कारण फसलो से अच्छी उपज भी प्राप्त होती है. कुशल प्रबंधन एवं वातावरण की अनुकूलता पर प्रतिवर्ष एक मधुमक्खी की कालोनी से कम से कम १००० से १५०० रु ० का शुद्ध लाभ कमाया जा सकता है. इसके अतिरिक्त प्रतिवर्ष ३-४ कालोनी भी प्राप्त हो सकती है. विभिन्न कृषि पद्धतियों के समन्वयन हेतु निम्न बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए:
१. क्षेत्र की जलवायु एवं मृदा
२. किसान के यहाँ उपलब्ध संसाधन
३. वर्तमान में प्रचलित कृषि पद्धतियाँ
४. वर्तमान में कृषि में खर्च एवं कमाई
५. प्रस्तावित समेकित कृषि पद्धति का आर्थिक विश्लेषण
६. किसान की प्रबंधन क्षमता
७. प्रचलित सामजिक रीतियाँ
- Login to post comments
- 25494 reads
मोम
मधुमक्खी से प्राप्त मोम को हम किस तरह से उपयोग में ला सकते है जिससे हम इससे अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सके |
मधुमक्खी से प्राप्त होने वाले
मधुमक्खी से प्राप्त होने वाले मोम का उपयोग बहुत से छोटे बड़े उद्योगों में किया जाता है. मुख्य रूप से मोम से मोमबत्ती बनाने के लिए कुटीर उद्योगों में इसका भारी मात्रा में प्रयोग किया जाता है. इसके अतिरिक्त सौन्दर्य प्रसाधनो में भी इसका प्रयोग बहुतायत से किया जाता है. मोम का प्रयोग रंगाई व छपाई जैसे टाई एंड डाई व स्क्रीन प्रिंटिंग में भी बड़े पैमाने पर किया जाता है, इस प्रकार मोम टेक्सटाइल कंपनियों का एक प्रमुख इनपुट भी है.
गठिया रोग
मधुमक्खी से प्राप्त होने वाले मोम का उपयोग गठिया रोग में भी किया जाता है
कृपया सम्बंधित लेख का स्रोत
कृपया सम्बंधित लेख का स्रोत बताइए.
प्रजातियाँ
मुख्य रूप से भारत में मधुमक्खी की कौन कौन प्रजातियाँ पायी जाती है
मधुमक्खियों की दो प्रमुख
मधुमक्खियों की दो प्रमुख प्रजातियों में से एपिस सेरेना को भारतीय मधुमक्खी के नाम से जाना जाता है. तथा एपिस मेलिफेरा, यूरोपियन या इटेलियन मधुमक्खी कही जाती है.
एपिस इंडिका
एपिस इंडिका को भारतीय मधुमक्खी के नाम से जाना जाता है.
शहद
प्रतिवर्ष एक मधुमक्खी की कालोनी से कम से कम कितने किलोग्राम शहद प्राप्त होगा
शहद
मधु की मात्रा, मधुमक्खी की जाति पर भी निर्भर करती है. मुख्य रूप से मधुमक्खी की दो प्रजातियाँ होती है :
१. ऐपिस सेरेना
२. ऐपिस मेल्लिफेरा
एपीस सेरेना की १५ कालोनी से प्रतिवर्ष लगभग २५० किलोग्राम शहद प्राप्त होता है. ऐपिस मेल्लिफेरा की १५ कालोनी से लगभग 400 किलोग्राम शहद प्रतिवर्ष प्राप्त होता है. इसके अतिरिक्त मधुमक्खी से मोम भी प्राप्त होता है. एपीस सेरेना व ऐपिस मेल्लिफेरा की १५ कॉलोनियों से क्रमशः २ व ३ किलोग्राम मोम प्रतिवर्ष प्राप्त होता है.
वर्तमान में प्रचलित कृषि पद्धतियाँ
वर्तमान में कौन कौन सी कृषि पद्धतियाँ प्रचलित है
मधुमक्खी पालन
मधुमक्खी पालन के बारे में कृप्या पूर्ण जानकारी दे
please go through it thoroughly