सब्जियों की खेती
• यदि लहसुन का प्याज की खुदार्इ न हुर्इ हो तो फसल में सिंचार्इ बन्द कर दें और कन्द को सूखने दें। सूखे कन्द की खुदार्इ करें।
• लौकी वर्ग की सबिजयों में सिंचार्इ करें।
• मार्च में रोपे गये टमाटर, बैगन व मिर्च में आवश्यकतानुसार सिंचार्इ करते रहें तथा नाइट्रोजन की शेष एक तिहार्इ मात्रा(टमाटर में 50 किग्रा, बैंगन में 50 किग्रा व मिर्च में 35-40 किग्रा) की दूसरी व अंतिम टाप ड्रेसिंग रोपार्इ के 45-50 दिन बाद कर दें।
• भिण्ड़ी बैंगन को फली छेदक सुंडी से बचायें।
• लौकी वर्ग की सबिजयों में फल मक्खी के नियंत्रण के लिए प्वाइजन वेट का प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए लगभग एक लीटर के चौडे मुँह वाले डिब्बे में एक लीटर पानी में मिथाइलयूजोनेल 1.5 मिलीलीटर व डाइक्लोरोवास 2 मिलीलीटर का प्रयोग होता हैं यह प्वाइजन वेट 4-6 स्थानों पर रखना चाहिये और प्वाइजन वेट 3-4 दिन के अन्तराल पर बदलते रहना चाहिए।
• हल्दी की कस्तूरी पास्पू, अमलापुरम, मधुकर, कृष्णा, सुगना, राजेन्द्र, सोनिया व अदरक की सुप्रभा, सुरूचि, सुरभि व हिमगिरि उपयुक्त प्रजातियाँ हैं।
• अदरक के लिए प्रति हेक्टेयर 18 कुन्तल तथा हल्दी के लिए 15-20 कुन्तल प्रकन्दों की आवश्यकता होती हैं।
• अदरक व हल्दी में खेत की तैयारी के समय प्रति हेक्टेयर 200-250 कुन्तल गोबर की खाद या 75 कुन्तल नादेप कम्पोस्ट का प्रयोग करना चाहिए।
• हल्दी में कुल 120 किग्राम नाइट्रोजन, 80 किग्रा फास्फेट व 80 किग्रा पोटश की आवश्यकता होती हैं। इसमें सम्पूर्ण फास्फोरस व पोटाश तथा 40 किग्रा नाइट्रोजन बोआर्इ के समय प्रयोग करें।
• अदरक में नाइट्रोजन की आधी मात्रा फास्फोरस व पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा (नाइट्रोजन 50 किग्रा, फास्फेट 50 किग्रा तथा पोटाश 100 किग्रा) बोआर्इ के पहले, अनितम जुतार्इ के समय बिखेर कर मिला दें।
• अदरक की बोआर्इ 30´20 सेंमी पर 4 सेंमी की गहरार्इ में करनी चाहिए। बोआर्इ से पूर्व 20-25 ग्राम के टुकड़ों को कापर आक्सीक्लोराइड के 0.3 प्रतिशत धोल में 10 मिनट तक उपचारित करें।
• हल्दी की बोआर्इ 30-40´20-25 सेंमी पर 4-5 सेंमी की गहरार्इ में उपरोक्त रसायन से उपचारित करने के बाद करनी चाहिए।
• सूरन की बोआर्इ पूरी कर लें।
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