गन्ना
• बसन्त ऋतु के गन्ने में 20 दिन के अन्तराल पर सिंचार्इ करते रहें और ओट आने पर गुड़ार्इ करें।
• इस ऋतु में बोर्इ गर्इ गन्ने की फसल में बोआर्इ के लगभग 3 माह बाद प्रति हेक्टेयर 60-75 किग्रा नाइट्रोजन (130-163 किग्रा यूरिया) की टाप ड्रेसिंग करके सिंचार्इ करें।
• यदि गेहूँ काटने के बाद गन्ने की बोआर्इ करनी हो तो पलेवा करके गन्ना बोयें।
• जिस खेत से गन्ने का बीज लेना हैं, उसमें कुछ दिन पूर्व सिंचार्इ कर दें और बोआर्इ से पूर्व भी गन्ने के टुकड़ों को 24 धण्टे पानी में भिगोकर बोआर्इ करने से अंकुरण अच्छा होता हैं।
• इस समय बोआर्इ के लिए कतार से कतार की दूरी धटाकर 60-65 सेंमी कर लें और कूंड के अन्दर भी टुकड़ों की संख्या बढ़ा दें।
• गन्ने की फसल अंकुरबेधक व दीमक से बचाने के लिए कूंड़ ढकने से पूर्व गामा बी.एच.सी.20 र्इ.सी. दवा की 6 लीटर मात्रा कों 1000 लीटर पानी में धोल बनाकर बोयें गये टुकड़ो के ऊपर छिड़काव करें।
• गन्ने की फसल को इस समय अगोला बेधक (टाप बोरर) व जड़बेधक से काफी नुकसान होता हैं।
• अगोला बेधक की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टेयर 30 किग्राम कार्बोप्यूरान चूर्ण डालकर फसल में सिंचार्इ कर दें अथवा मोनोक्रोटोफास 40र्इ.सी. की 1.5 लीटर दवा 600 लीटर पानी में धोल बनाकर छिड़काव करें।
• गन्ने की पेड़ी से अच्छी उपज लेने के लिए प्रति हेक्टेयर 75 किग्रा नाइट्रोजन (163 किग्रा यूरिया) पहली फसल काटने के बाद तथा 75 किग्राम नाइट्रोजन (163 किग्रा यूरिया) दूसरी या तीसरी सिंचार्इ के समय या फसल काटने के 60 दिन पर प्रयोग करना चाहिए।
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