बुवाई का समय:
१५ अक्टूबर से १५ नवम्बर तक करना ठीक रहता है | देर से बोने पर कटाई की संख्या कम और चारे की उपज प्रभावित होती है
बुवाई की बिधि:
तैयार काय्रियों में ५ सेमी. गहरा पानी भरकर उसके ऊपर बीज छिड़क देते है बुवाई के २४ घण्टे के बाद क्यारी से जल निकास कर देना चाहिए |
जहाँ धान काटने में देर हो वहाँ बरसीम की उतेरा खेती करना उचित है इसमे धान कटने से १०-१५ दिन पूर्व ही बरसीम को कड़ी फसल में छिड़काव बिधि से बुवाई करते हैं |
बीज दर:
प्रति हेक्टेयर २५-३० किग्रा. बीज बोते है फली कटाई में चारा की उपज अधिक लेने के लिए १ किग्रा. / हे. चारे वाली टा. -९ सरसों का बीज बरसीम में मिलकर बोना चाहिए |
बीजोपचार:
प्रया: बरसीम के साथ कसनी का बिज मिला रहता है | मिश्रित बिज को ५-१० प्रतिशत नमक के घोल में डालकर के घोल में दल देने से कसनी का बीज ऊपर तैरने लगता है इसे छानकर अलग कर लेते है | बरसीम के बीज को नामक के घोल से तुरन निकाल कर साफ पानी से अच्छी तरह घोलें |
यदि बरसीम के किसी खेत में पहली बार बुवाई की जा रही है तो उसे प्रति किग्रा. बीज को २५० ग्राम बरसीम कल्चर की दर से उपचारित कर लें | कल्चर न मिलने पर बरसीम को बीज के बराबर मात्रापहले बरसीम बोई गयी खेत की नम भुरभरी मिटाती मिला लेते है | मृदा उपचार हेतु ट्राईकोडरमा को १ किग्रा. प्रति एकड़ के दर से प्रयोग करें |