Submitted by kanchannainwal1 on Tue, 02/02/2010 - 10:20
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फॉस्फोरस
फॉस्फोरस की कमी :
- गन्ने की पुरानी पत्तियाँ घूसर - सा हरे रंग की हो जाती है।
- नई या तरूण पत्तियाँ अधिक गहरे रंग की हो जाती है।
- प्रारम्भिक वानस्पतिक वृध्दि के दौरान, जब मूल तंत्र की रचना हो जाती है, फॉस्फोरस की कमी होने पर बाद में फॉस्फोरस उर्वरक का प्रयोग करने पर भी उसकी क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकती है।
- गन्ने के पौधें में फॉस्फोरस उद्ग्रहण (अपटेक) नाइट्रोजन उद्गहण की तुलना में अधिक समान रूप से वितरित और अधिक लम्बा समय लेने वाला होता है।
- रोपाई के समय पर खूड़ों में एक मात्रा में फॉस्फेटी उर्वरक का प्रयोग उपयुक्त पाया गया है।
- रोपाई पर और रोपाई के 90 दिन बाद दो किश्तों में या पोटाश का एक बार आधारी प्रयोग गन्ना की फसल के लिए सर्वाधिक लाभदायक होता है, दृष्टी गोचर प्रभाव प्राप्त करने के लिए फॉस्फेटी उर्वरकों की भांति गन्ना के जड़ क्षेत्र के भीतर अच्छी तरह से नीचे स्थापन द्वारा पोटाश का प्रयोग करना चाहिए।
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