● गेहूँ की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिये धान की समय से रोपाई आवश्यक हैं जिससे गेहूँ के लिये खेत अक्टूबर के अंत तक खाली हो जाय । ● धान में पंडलिंग या लेवा के कारण भूमि कठोर हो जाती है अतः भारी भूमि में मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई के बाद डिस्क हैरो से कम दो बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बनाकर गेहूँ की बुआई करें । धान के ठूँठों को शीघ्र सड़ाने के लिये १५-२० कि.ग्रा. प्रति हैक्टर नत्रजन यूरिया के रूप में खेत को तैयार करते समय पहली जुताई पर दें । ● धान की कटाई यदि देर से की गयी है तो इन खेतों में पंतनगर से विकसित जीरो फर्ट्री सीड़ ड्रिल से बुआई करें । ● गेहूँ की फसल कटने के बाद एवं धान की रोपाई के बीच हरी खाद का प्रयोग करें या धान की फसल में १२ टन प्रति हैक्टर की दर से गोबर की खाद का प्रयोग करें । यदि किसी कारणवश हरी या गोबर की खाद न दे पायें तो नत्रजन की मात्रा बढ़ाकर १५० किलोग्राम प्रति हैक्टर कर दें ।
ध्यान देने योग्य बातें
उत्तर-
● गेहूँ की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिये धान की समय से रोपाई आवश्यक हैं जिससे गेहूँ के लिये खेत अक्टूबर के अंत तक खाली हो जाय ।
● धान में पंडलिंग या लेवा के कारण भूमि कठोर हो जाती है अतः भारी भूमि में मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई के बाद डिस्क हैरो से कम दो बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बनाकर गेहूँ की बुआई करें । धान के ठूँठों को शीघ्र सड़ाने के लिये १५-२० कि.ग्रा. प्रति हैक्टर नत्रजन यूरिया के रूप में खेत को तैयार करते समय पहली जुताई पर दें ।
● धान की कटाई यदि देर से की गयी है तो इन खेतों में पंतनगर से विकसित जीरो फर्ट्री सीड़ ड्रिल से बुआई करें ।
● गेहूँ की फसल कटने के बाद एवं धान की रोपाई के बीच हरी खाद का प्रयोग करें या धान की फसल में १२ टन प्रति हैक्टर की दर से गोबर की खाद का प्रयोग करें । यदि किसी कारणवश हरी या गोबर की खाद न दे पायें तो नत्रजन की मात्रा बढ़ाकर १५० किलोग्राम प्रति हैक्टर कर दें ।