Submitted by akanksha on Tue, 23/02/2010 - 11:11
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धान प्रध्वंस या सहसामारी रोग :
रोगकारी जीव : पिरीकुलेरिया ओराइजी (मैग्नापोर्थे ग्रिसा)
- यह वृध्दि की किसी अवस्था पर पौधों को संक्रमित करता है और पौधों की वृध्दि रोकता है।
- यह परिपक्व पुष्पगुच्छों की संख्या, अलग-अलग दानों का भार और धान का भार एवं गुणवत्ता को घटाता है।
- उच्च आर्द्रता क्षतचिह्नों के विकास के लिए अनुकूल होती है।
- अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में रोग अधिक विध्वंसक होता हैं।
- निकट रोपाई या नाइट्रोजनी उर्वरकों का भारी प्रयोग रोग के लिए अनुकूल होता है।
- अधिक सिलिका अंश रखने वाले पौधे प्रध्वंस या सहसामारी से कम संक्रमित होते हैं।
लक्षण :
- विशेष प्रकार की पर्णचित्तियॉ, जो दीर्घवृत्तीय और दोनों सिरों पर कुछ-कुछ नुकीली होती है।
- ग्रहणशील प्रजातियों पर चित्तियाँ छोटे, जलसिक्त, सफेद-सा, धूसर-सा या नीला-सा बिन्दुओं के रूप में प्रारम्भ होती है।
- संक्रमण पुष्पगुच्छ के किसी हिस्से में पाया जा सकता है और इसके फलस्वरूप भूरे क्षतचिन्ह उत्पन्न होते हैं।
- यह पुष्पगुच्छ के आधार के निकट पाया जाता है और 'विगलित ग्रीवा' या 'ग्रीवा विगलन' के लक्षण उत्पन्न करता है।
प्रबन्ध :
- रोग प्रभावित भूसा एंव ठुन्ठों को जला दीजिए।
- आई0 आर0-8 जया, वंदना, हीरा, सावित्री, रत्ना, आई आर-36 एवं अन्नदा जैसी सहिष्णु प्रजातियाँ उगाइए।
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