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धान खोलकृमि

धान:


खोलकृमि

दूसरी सूडियां (इल्लियॉ) मुख्य रूप से अगस्त से नवम्बर तक की अवधि में अधिक दोजी अवस्था में पहुँचने से पहले पत्ती ऊतक को खुरच कर हानि पहुंचाती हैं। विशेषता सूचक पत्ती क्षति क्षैतिज पंक्तियों में होती है। ये पत्तियों को मोड़कर नलिकाकार खोज बनाती हैं। डिंभक (लार्वा) रात्रिचर होते है, अत: दिन के दौरान खोल में अपने को छिपा लेते हैं और रात्रि में उनसे रेंगकर बाहर निकलते है। खोल डिंभको को जल पृष्ठ पर तैरते रहने के लिए सहायता पहुँचाता है। नलिकाकार खोल के भीतर प्यूपीकरण होता है।

 

प्रबन्ध :

  • पौधों से डिंभक खोलों को हटाने के लिए छोटी फसल के ऊपर से एक रस्सी गुजारिए और उसके बाद उन्हें नष्ट करने के लिए जल को निकाल दीजिए।
  • खेत एवं मेढ़ों से खरपतवारों और अतिरिक्त नर्सरियॉ निकाल दीजिए।
  • खेतों का बारी-बारी से आर्द्रण एवं शुष्कन सुनिश्चित कीजिए।
  • नाइट्रोजन के अधिक प्रयोग से बचिए।
  • कीटों की संख्या का अनुश्रवण एवं नियंत्रण करने के लिए सही पाशें/फंदें स्थापित कीजिए।




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