धान की झुंड में लगने वाली सूंडियाँ
यह कभी-कभी पाया जाने वाला नाशकजीव धान की उपज में लगभग 20% हानियां उत्पन्न करता है। वयस्क कीट मजबूत एवं धूसर भूरे रंग का शलभ होता है। इसके अगले पंखो पर काली चित्तियाँ होती है और पिछले पंख सफेद भूरे रंग के होते है। अण्डे पौधों पर समूहों में दिए जाते है और वे धूसर रंग के रोम से ढके होते है। हाल में निकले हुए डिंभक हरे रंग के होते हैं। दक्षिण भारत में यह नाशकजीव अक्टूबर से दिसम्बर के दौरान प्रचलित होता है। नर्सरी एवं खेत दोनो में डिंभको द्वारा हानि उत्पन्न होती हैं डिंभक पर्ण समूह पर मुक्खड़ के रूप में भोजन खाते है और पीछे पौधों पर केवल वृंत छोड़ देते हैं। फसल ऐसी दिखाई देती है मानो इसे गोपशुओं ने चर लिया है। डिंभक एक खेत से दूसरे खेत तक बड़ी संख्या में पहुँचते है, इसलिए इन्हें झुन्ड में चलने वाली सूंडिया कहा जाता है।
प्रबन्ध :
- प्यूपा को नष्ट करने के लिए ग्रीष्म काल में खेतों की गहरी जुताई कीजिए।
- खेतों एंव मेढ़ो से खरपतवारों एवं अतिरिक्त नर्सरियों को निकाल दीजिए।
- खेतो में बारी-बारी से गीलापन एंव शुष्कन सुनिश्चित कीजिए ।
- नाइट्रोजन के अधिक प्रयोग से बचिए।
- कीट संख्या का अनुश्रवण एवं नियंत्रित करने के लिए प्रकाश पाश स्थापित कीजिए।
- Login to post comments
- 2266 reads