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जुलाई माह में सब्जी उत्पादन हेतु मुख्य कृषि कार्य

 सब्जियों की खेती

  • बैगन, मिर्च, अगेती फूलगोभी की रोपार्इ का समय हैं।
  • रोपार्इ के समय बैंगन में 50 किग्रा नाइट्रोजन, 50 किग्रा फास्फेट व 50 किग्रा पोटश, मिर्च में 35-40 किग्रा नाइट्रोजन, 40-60 किग्रा फस्फेट व 40-50 किग्रा पोटाश तथा फूलगोभी में 40 किग्रा नाइट्रोजन 60 किग्रा फास्फेट 40 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें।
  • बैगन की रोपार्इ 75-90×60 सेंमी, मिर्च, 45-75×30-45 सेंमी तथा अगेती फूलगोभी की रोपार्इ 40×30 सेंमी पर करना चाहिए।
  • यदि खेत में पानी रूकने की सम्भावना हो तो अगेती फूलगोभी की रोपार्इ मेड़ पर करें।
  • जाड़े में टमाटर की फसल के लिए बीज की बोआर्इ पौधशाला में करते हैं। इसके लिए मुक्त परागित किस्मों के लिए 350-400 ग्राम तथा संकर किस्मों के लिए 200-250 ग्राम बीज की आवश्यकता होगी।
  • खरीफ की प्याज के लिए पौधशाला में बीज की बोआर्इ 10 जुलार्इ तक कर दें। प्रति हेक्टेयर रोपार्इ के लिए बीजदर 12-15 किग्रा होगी।
  • खरीफ की प्याज के लिए पौधशाला में बीज की बोआर्इ 10 जुलार्इ तक कर दें। प्रति हेक्टेयर रोपार्इ के लिए बीजदर 12-15 किग्रा होगी।
  • चौलार्इ की बरसात की फसल के लिए बोआर्इ पूरे महीने की जा सकती हैं। एक हेक्टेयर की बोआर्इ के लिए 2-3 किग्रा बीज की आवश्यकता होती हैं।
  • कद्दूवर्गीय सबिजयों में बोआर्इ के लगभग 25-30 दिन बाद पौधों के बढ़वार के समय प्रति हेक्टेयर 15-20 किग्रा नाइट्रोजन की टाप ड्रेसिग करें।
  • लौकी, खीरा, चिकनी तोरी, आरा तोरी, करेला व टिण्डा की बोआर्इ अभी भी की जा सकती हैं।
  • पिछले माह में बोर्इ गर्इ लौकीवर्गीय सबिजयों में मचान बनाकर सहारा दें। सभी सबिजयों में उचित जल निकास की व्यवस्था करें।
  • बरसात वाली भिण्ड़ी तथा अरवी की बोआर्इ पूरी कर लें।
  • पहले बोर्इ गयी भिण्ड़ी की फसल में बोआर्इ के 30 दिन बाद प्रति हेक्टेयर 35-40 किग्रा नाइट्रोजन (76-87 किग्रा यूरिया) की टाप ड्रेसिंग करें।
  • हल्दी में प्रति हेक्टेयर 40 किग्रा नाइट्रोजन (87 किग्रा यूरिया) बोआर्इ के 35-40 दिन बाद कतारों के बीच में डालें। 
  • अदरक में बोआर्इ के 40 दिन बाद प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन की 25 किग्रा मात्रा (54 किग्रा यूरिया) मिटटी चढ़ाते समय दें।
  • सूरन की फसल में सम्पूर्ण आवश्यक नाइट्रोजन की आधी मात्रा अर्थात 60 किग्रा (130 किग्रा यूरिया) प्रति हेक्टेयर की दर से बोआर्इ के 65-70 दिन बाद खड़ी फसल में देना चाहिए।
  • कुन्दरू की रोपार्इ के लिए उपयुक्त समय हैं। ग्रीष्म ऋतु में कतार से कतार व पौधें से पौधें की 3 मीटर की दूरी पर 30×30×30 सेंमी आकार के खोदे गये गडढों में 2-3 किग्रा अच्छी प्रकार से सडी़ गोबर की खादनादेप कम्पोस्ट, यूरिया 50 ग्राम, सुपर फास्फेट 200 ग्राम तथा म्यूरेट आफ पोटाश 100 ग्राम प्रति गडढ़े की दर से अच्छी तरह मिटटी व बालू में मिलाकर 10 सेंमी की ऊँचार्इ तक भर दें तथा वर्षा प्रारम्भ होते ही कलिकायुक्त विकसित कलमों को इन गडढों में रोप दें।
  • कुन्दरू में नर व मादा पौधे अलग-अलग होते हैं। अत: अच्छी उपज के लिए 9 मादा पौधे पर एक नर पौधा अवश्य लगायें
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