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गन्ने की नवीनतम प्रौद्योगिकी


प्रौद्योगिकी क्या है ?

     टै्रक्टर चालित उत्थित क्यारी रचयिता-सह उर्वरक बीज वपित्र (रेज्ड बेड मेकर-कम-फर्टी सीड ड्रिल) द्वारा 75-80  कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर की बीज दर रखते हुए 1.7 से.मी. की पंक्ति दूरी पर नवंबर में अनुकूलतम बोआई पर प्रत्येक उभरी हुई क्यारी (48/50 से.मी. ऊपरी भाग की चौड़ाई) पर गेंहूँ की तीन पंक्तियों की बोआई की जाती है। गेंहूँ की बोआई के तत्काल बाद गेंहूँ के समुचित अंकुरण के लिए खूड की 3/4 ऊँचाई तक सिंचाई की जाती है। खूडों में परवर्ती सिंचाइयाँ की जाती हैं। गेंहूँ की फसल में कुल मिलाकर छ: सिंचाइयों की आवश्यकता  हाती है। उभरी हुई क्यारियों पर अच्छी मृदा जुताई के कारण गेंहूँ का दोजियाँ निकलना एवं वृध्दि अच्छी होती है।


sugarcane in furrows in standing wheat


गेंहूँ की खड़ी फसल में फरवरी महीने (उपोष्ण कटिबंधीय भारत में गन्ना बोआई का अनुकूलतम समय) में खूँडों (32/30 से.मी. ऊपरी चौड़ाई और 22 से.मी. गहराई) में गन्ने की बोआई की जाती है। खूँडों में अधिमानत: सांयकाल सिंचाई की जाती है और अगले दिन गन्ने की तीन कलिका युक्त पोरियों (सेटों) की बोआई की जाती है और हाथ में मृदा में दवा दी जाती है जब मृदा कीचड़भरी दशा  में होती है (अगली रोपाई)। खूड को काटने के लिए पोरियों (सेटों) के अच्छे स्थापन के लिए सिंचाई के पहले मृदा को ढीली बनाने के लिए पहिएदार हो भी तैयार किया गया है।

गेंहूँ की कटाई के बाद, मिट्टी चड़ाने के कार्य तक खूँडों का गन्ना की सिंचाई करने के लिए प्रयोग होता है। एक चक्कर (पास) में 80 से.मी. की दूरी पर तीन उभरी हुई क्यारियाँ बनाई जाती हैं और प्रत्येक क्यारी में एक साथ गेंहूँ की तीन पंक्तियों में बीज की बोआई की जाती है।



FIRBS by machine

sugarcane stand after wheat harvest


पध्दति के लाभ

  • गन्ना अनुकूलतम समय अर्थात फरवरी के महीने में बोया जाता है, इस प्रकार इस पध्दति का प्रयोग करने पर गेंहूँ उपज में कमी के बिना 35 प्रतिशत अधिक गन्ना की उपज प्राप्त होती है।
  • यह पध्दति 20 प्रतिशत सिंचाई जल में बचत करके जल उपयोग दक्षता बढ़ाती है, गन्ना की बोआई के लिए भूमि की तैयारी (पलेवा) के लिए अतिरिक्त सिंचाई की आवश्यकता  नहीं होती है। इसके अतिरिक्त, सिंचाई गेंहूँ की कटाई तक दोनों फसलों के प्रयोजन का कार्य करती है।
  • यह पध्दति वैकल्पिक खरपतवार प्रबंध का कार्य करती है।
  • आगत (बीज आदि) उपयोग दक्षता बढ़ाइए क्योंकि 75-80 कि.ग्रा. गेंहूँ के बीच की आवश्यकता  होती है। अन्य आगतों, जैसे शाकनाशी/कृंतकजीवनाशी की आवश्यकता  भी न्यूनतम होती है।
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