Submitted by kanchannainwal1 on Mon, 01/02/2010 - 10:49
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खाई या जवा विधि:
कुछ तटीय क्षेत्रों के साथ-साथ ऐसे अन्य क्षेत्रों जहाँ फसल अधिक ऊँचाई तक बढ़ती है और वर्षाकाल के दौरान तेज हवाओं से गन्ना गिर जाता है, में फसल को गिरने से बचाने के लिए खाई विधि अपनाई जाती है।
- मेंढकारी/जेसीबी मशीन या शारीरिक श्रम की सहायता से 75 - 90 सें.मी. की दूरी पर खाइयाँ खोदी जाती हैं।
- खाइयाँ लगभग 20-25 सें.मी. गहरी होनी चाहिए।
- इसके बाद खाइयों में उर्वरकों (नाइट्रोजन-फॉस्फोरस-पोटाश) का पहले से तैयार किए मिश्रण को एक समान फैला देना चाहिए और मृदा पूरी तरह से मिश्रित कर लिया जाता है।
- खाइयों में सेट एक सिरे से दूसरे सिरे तक रोपे जाते हैं।
- समतल रोपाई की भाँति खाइयों को भुरभुरी मिट्टी से भर दिया जाता है।
ट्रैक्टर चलित गन्ना रोपक खाइयों में गन्ना की रोपाई के लिए अधिक उपयुक्त यंत्र है।
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