Submitted by deepalitewari on Tue, 01/12/2009 - 12:26
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किट्ट रोग :
रोगकारी जीव - यूरोमाइसीज पाइसाइ और यू0 फैबी
- उत्तरी भारत में यह रोग गम्भीर रूप धारण करता है।
- यह देरी से बोई गई फसल पर गम्भीर होता है।
- पौधें के सभी हरे भाग प्रभावित होते हैं।
- उत्तरी भारत में ठण्डी एवं आर्द्र जलवायु के अन्तर्गत सम्पूर्ण पौधा मर सकता है।
लक्षण :
- प्रारम्भिक लक्षण पीली चित्तियाँ होती हैं जिनमें गोल या लम्बे गुच्छों में ईशियम होते हैं।
- स्फोट विकसित होते हैं जो देखने में चूर्णी और नारंगी भूरे रंग के होते हैं।
नियंत्रण के उपाय :
- बीनों को छोड़कर 1-2 वर्ष का फसल-चक्र अपनाइए।
- कटाई के बाद प्रभावित पौधों के कचरा को जला दीजिए।
- 1000 लीटर जल में 2 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर की दर से डाइथेन एम0-45 का फसल पर छिड़काव कीजिए। 10 दिनों के अन्तर पर दो या तीन छिड़काव पर्याप्त होते हैं।
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