Submitted by deepalitewari on Fri, 04/12/2009 - 16:26
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ऐस्कोकाइटा अंगमारी
रोगकारी जीव - ऐस्कोकाइटा पाइसाई, ऐ. पिनोडेला एवं ऐ. पाइनोडीज
- यह अनुकूल दशाओं के अन्तर्गत फसल के लिए गम्भीर खतरा प्रस्तुत करता है और अंगमारी, फली चित्ती एवं पाद विगलन उत्पन्न करता है।
लक्षण :
- पत्तियों पर छोटी, बैंगनी चित्तियाँ प्रकट होती हैं जो बड़ी हो सकती है, भूरे रंग में बदल जाती हैं और एक निश्चित किनारे से युक्त होती हैं।
- संकेन्द्री वलय दिखाई पड़ते हैं।
- तने पर भी इसी प्रकार के क्षतचिन्ह प्रकट होते हैं जो लम्बे होकर मिल जाते हैं और तने को भूरा या काला बना देते हैं।
- फलियों पर काले किनारे से युक्त अनियमित आकार के और भूरे रंग के क्षतचिन्ह प्रकट होते हैं।
नियंत्रण के उपाय :
- स्वस्थ बीजों का प्रयोग कीजिए और बोआई से पहले उन्हें कार्बेन्डाजिम (0.25%) से उपचारित कीजिए।
- पुष्पन अवस्था पर और उसके बाद 10-15 दिनों के अन्तर पर संक्रमित फसल पर कार्बेन्डाजिम (0.1%) या मैन्कोजेब का छिड़काव कीजिए।
- रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दीजिए।
- 3-2 वर्षों का फसल-चक्र अपनाइए।
- जल निकास की समुचित व्यवस्था रखें।
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