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ऐस्कोकाइटा अंगमारी: सब्जी मटर का कवक रोग

ऐस्कोकाइटा अंगमारी

रोगकारी जीव - ऐस्कोकाइटा पाइसाई, ऐ. पिनोडेला एवं ऐ. पाइनोडीज

  • यह अनुकूल दशाओं के अन्तर्गत फसल के लिए गम्भीर खतरा प्रस्तुत करता है और अंगमारी, फली चित्ती एवं पाद विगलन उत्पन्न करता है।

लक्षण :

  • पत्तियों पर छोटी, बैंगनी चित्तियाँ प्रकट होती हैं जो बड़ी हो सकती है, भूरे रंग में बदल जाती हैं और एक निश्चित किनारे से युक्त होती हैं।
  • संकेन्द्री वलय दिखाई पड़ते हैं।
  • तने पर भी इसी प्रकार के क्षतचिन्ह प्रकट होते हैं जो लम्बे होकर मिल जाते हैं और तने को भूरा या काला बना देते हैं।
  • फलियों पर काले किनारे से युक्त अनियमित आकार के और भूरे रंग के क्षतचिन्ह प्रकट होते हैं।

नियंत्रण के उपाय :

  • स्वस्थ बीजों का प्रयोग कीजिए और बोआई से पहले उन्हें कार्बेन्डाजिम (0.25%) से उपचारित कीजिए।
  • पुष्पन अवस्था पर और उसके बाद 10-15 दिनों के अन्तर पर संक्रमित फसल पर कार्बेन्डाजिम (0.1%) या मैन्कोजेब का छिड़काव कीजिए।
  • रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दीजिए।
  • 3-2 वर्षों का फसल-चक्र अपनाइए।
  • जल निकास की समुचित व्यवस्था रखें।
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