बुवाई का समय
शीघ्र पकने वाली प्रजातियों की बुवाई जुलाई के तीसरे सप्ताह से अगस्त के प्रथम सप्ताह तक करनी चाहिये। शीघ्र पकने वाली प्रजातियों को जायद में भी बोया जाता है। टा-२७ तथा टा-६५ की बुवाई शुद्घ फसल के रूप में जुलाई के प्रथम पक्ष में तथा अरहर के साथ जून के द्वितीय पक्ष में करनी चाहिये। शेखर प्रजातियां की बुवाई २५ जुलाई से ३० अगस्त तक की जानी चाहिये। पश्चिमी भाग में हरे चारे के बाद भी बुवाई की जा सकती है।
बीज का उपचार
बीज को १ ग्राम कार्बेन्डाजिम अथवा २.०० ग्राम थीरम से प्रति किग्रा. की दर से शोधित करने के बाद उर्द के राइजोबियम कल्चर के एक पैकेट से १० किग्रा. बीज का उपचार करना चाहिये। उपचार अरहर की खेती के अन्तर्गत दी गयी विधि के अनुसार करे।
बीज की मात्रा: विभिन्न प्रजातियों का १२-१५ किग्रा. प्रति हेक्टर प्रयोग करना चाहिये।
बुवाई: हल के पीद्दे कूडं में बुवाई करनी चाहिये। कूंड से कूड की दूरी ३०-४५ सेमी. रखनी चाहिये तथा बुवाई के बाद तीसरे सप्ताह में धने पौधे को निकाल कर पौधे की दूरी १० सेमी. का देना चाहिये।