Submitted by Rakesh Kumar Singh on Wed, 18/08/2010 - 16:27
सूत्रकृमि: सूत्रकृमि जनित बीमारी की रोकथाम हेतु गर्मी की गहरी जुताई आवश्यक है।
कम अवधी कि अरहर कि फसल में एकीकृत कीट प्रबंधन:
- अरहर के खेत में चिड़ियों के बैठने के लिये बांस की लकड़ी का टी आकार का १० खपच्ची प्रति हे. के हिसाब से गाड दें।
- जब शत प्रतिशत पौधे में फूल आ गये हो और फली बनना शुरू हो गया हों। उस समय इन्डोसल्फान ०.०७ प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहियें।
- प्रथम छिड़काव के १५ दिन पश्चात एच.एन.पी.वी. का ५०० एल.ई प्रति हे. के हिसाब से द्दिडकाव करना चाहियें।
- द्वितीय छिड़काव के १०-१५ दिन पश्चात जरूरत के अनुसार निम्बोली के ५ प्रतिशत अर्क का द्दिडकाव करना चाहिये।
मध्यम एवं लम्बी अवधि की अरहर की फसल में एकीकृत कीट प्रबन्धन :
- जब शत प्रतिशत पौधों में फूल आ गये हों और फली बनना शुरू हो गया हो। उस समय मोनोक्रोटोफास ०.०४ प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहियें।
- प्रथम छिड़काव के १०-१५ दिन पश्चात डाइमेथोएट ०.०३ प्रतिशत घोल का द्दिडकाव करना चाहिये।
- द्वितीय छिड़काव के १०-१५ दिन पश्चात आवश्यकतानुसार निम्बोली के ५ प्रतिशत अर्क या नीम के किसी प्रभावी कीट नाशक का द्दिडकाव करना चाहियें।
मुख्य बिन्दु:
- बीज शोधन आवश्यक रूप से किया जाय।
- सिगिंल सुपर फास्फेट का फास्फोरस एवं गन्धक हेतु उपयोग किया जाय।
- समय से बुवाई की जायें।
- फली बेधक एवं फली मक्खी का नियंत्रण आवश्यक है।
- मेडो पर बुवाई करनी चाहिये।
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