अप्रैल के मुख्य खेती-बाड़ी कार्य
सब्जियों की खेती
• पूर्व में रोपी गर्इ मिर्च में रोपार्इ के 25 दिन बाद प्रति हेक्टेयर 35-40 किग्रा नाइट्रोजन (76-87 किग्रा यूरिया) की प्रथम टाप ड्रेसिंग व इतनी ही मात्रा की दूसरी टाप ड्रेसिंग रोपार्इ के 45 दिनों बाद करें।
• ग्रीष्मकालीन बैगन में रोपार्इ के 30 दिन बाद प्रति हेक्टेयर 50 किग्रा नाइटोजन (108 किग्रा यूरिया)की पहली टाप ड्रेसिंग व इतनी ही मात्रा की दूसरी टाप ड्रेसिंग रोपार्इ के 45 दिन बाद करें।
• वर्षाकालीन बैगन की नर्सरी यदि तैयार हो तो उसकी रोपार्इ 75-90´60 सेंमी की दूरी पर, जहाँ तक सम्भव हो, रोपार्इ शाम के समय करें तथा रोपार्इ के तुरन्त बाद हल्की सिंचार्इ कर दें।
• वर्षाकालीन बैगन की फसल के लिए नर्सरी में बीज की बोआर्इ इस माह भी कर सकते हैं।
• नर्सरी तैयार करने के लिए लो टनेल पाली हाउस (एग्रोनेट युक्त) का प्रयोग करने से अच्छी गुणवत्ता की पौध तैयार होगी।
• टमाटर की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचार्इ करते रहें। फलों में छेद करने वाले कीट से बचाने के लिए फल तोड़ने के बाद मैलाथियान 0.1 प्रतिशत का छिड़काव करें। छिड़काव के 3-4 दिन बाद तक फल की तुडार्इ न करें।
• बैगन में तनाछेदक कीट से बचाव के लिए नीमगिरी 4 प्रतिशत का छिड़काव 10 दिन के अन्तराल पर करने से अच्छा परिणाम मिलता हैं। या मार्सल (कार्बोसल्फान 20 र्इ.सी.) 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में धोल बनाकर 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें।
• भिण्ड़ी की फसल में नाइट्रोजन की प्रति हेक्टेयर 35-40 किग्रा मात्रा(76-87 किग्रा यूरिया) की पहली टाप ड्रेसिंग बोआर्इ के 30 दिन बाद व शेष एक तिहार्इ 35-40 किग्रा नाइट्रोजन (76-87 किग्रा यूरिया) की दूसरी टाप ड्रेसिंग बोआर्इ के 45-50 दिन बाद करें।
• भिण्ड़ी लोबिया की फसल को पत्ती खाने वाले कीट से बचायें।
• भिण्ड़ी की फसल में फलो की तुड़ार्इ प्रत्येक तीसरे दिन करें अन्यथा तुड़ार्इ नियमित न करने पर फल बड़े हो जाते हैं तथा संख्या में कम प्राप्त होते हैं।
• लहसुन व प्याज की खुदार्इ करें। खुदार्इ के 10-12 दिन पूर्व सिंचार्इ बन्द कर दें।
• कíूवर्गीय फसलों में 4-5 दिन के अन्तराल पर सिंचार्इ करें, पौधों के कमजोर होने पर आवश्यकतानुसार यूरिया की टाप ड्रेसिंग कर दें। ध्यान रखें कि यूरिया पतितयों पर न गिरे अन्यथा फसल जल जायेगी।
• लाल भृंग कीट की रोकथाम के लिए सुबह ओस पड़ने के समय राख का बुरकाव करने से कीट पौधों पर नही बैठते हैं। या
• इस कीट का अधिक प्रकोप होने पर मैलाथियान चूर्ण 5 प्रतिशत या कार्बारिल 5 प्रतिशत के 25 किग्रा चूर्ण को राख में मिलाकर सुबह पौधों पर बुरकना चाहिये। या 0.2 प्रतिशत सेविन का छिड़काव करें।
• सूरन की बोआर्इ पूरी माह तथा अदरक व हल्दी की बोआर्इ माह के दूसरे पखवाड़े से शुरू की जा सकती हैं।
• प्रति हेक्टेयर अदरक की बोआर्इ के लिए लगभग 18 कुन्टल,हल्दी के लिए 15-20 कुन्टल व सूरन के लिए 75 कुन्टल बीज की आवश्यकता होती हैं।
• बोआर्इ से पूर्व हल्दी व अदरक के बीज को 0.3 प्रतिशत कापर आँक्सीक्लोराइड के धोल में उपचारित कर लें।
• बोआर्इ से पूर्व सूरन के बीज को 2 प्रतिशत तूतिया या 0.2 प्रतिशत बावेस्टीन या गोबर के धोल में डुबा दें। पुन: उसे साये में सुखा कर बोआर्इ करनी चाहिए।
• हल्दी, अदरक व सूरन की बोआर्इ के बाद खेत में सूखी पुवाल, धास-फूस या पत्ती से ढ़क दें। इससे खेत में खरपतवार का जमाव नही होता, नमी संरक्षित रहने से फसल का जमाव भी अच्छा होता है तथा साथ ही इनके सड़ने से खेत में जीवांश पदार्थ की मात्रा भी बढ़ती हैं।
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