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Uttar Pradesh

बासमती/सुगन्धित धान की वैज्ञानिक खेती

तिल की खेती

मुख्य बिन्दु

१. बुवाई १०-२० जुलाई तक अवश्य कर ली जायें।
२. पानी के निकास की समुचित व्यवस्था करे।
३. बुवाई के १५-२० दिन बाद विरलीकरण अवश्य करें।

मक्का की खेती

अन्य आवश्यक क्रियाये: 

वर्षा के पानी तेज हवा से फसल को बचाने के लिए पौधों की जड़ों पर मिट्‌टी पलटने वाले हल से मिट्‌टी चढ़ा देनी चाहिये।

सोयाबीन की खेती

सूत्रकृमि:

सूत्रकृमि जनित बीमारियॉ रोकने के लिये हरी खाद गर्मी की गहरी जुताई या खलियॉ की खाद का उचित मात्रा में प्रयोग किया जाय।

अरहर की खेती

सूत्रकृमि: सूत्रकृमि जनित बीमारी की रोकथाम हेतु गर्मी की गहरी जुताई आवश्यक है।

कम अवधी कि अरहर कि फसल में एकीकृत कीट प्रबंधन:

जेट्रोफा की खेती

तेल का उपयोग: 

अण्डी (अरण्ड) की खेती

मूंगफली की खेती

सूत्रकृमि

१० किग्रा. फोरेट १० जी बुवाई से पूर्व प्रयोग करे अथवा नीम की खुली १५-२० कुन्तल/हे. की दर से प्रयोग करें।

मुख्य बिन्दु

लोबिया की खेती

सूत्रकृमि: सूत्रकृमि की रोकथाम के लिये ज्वार की मिश्रित खेती करे।

उर्द की खेती

मुख्य बिन्दु

  1. गर्मी में गहरी जुताई करे व रोग रोधी प्रजातियों को उगायें।
  2. गंधक का प्रयोग उपज बढाने में लाभदायक रहता है।
  3. गंधक का प्रयोग उपज बढ़ाने में लाभदायक  रहता है।
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