रोग:
बाजरा का अरगट:
पहचान: यह रोग केबल भुट्टों के कुछ दानो पर ही दिखाई देता है इसमें दाने के स्थान पर भूरे काले रंग के सींक के आकार की गांठें बन जाती हैं | जिन्हें स्केलेरेशिया कहते हैं | संक्रमित फूलों में फफूंद विकसित होती है जिनमे बाद में मधु रस निकलता है | प्रभाबित दाने मनुष्यों एवं जानवरों के लिए हानिप्रद होते हैं |
उपचार:
१. यदि बीज प्रमाणित नहीं हो तो बोने से पहले २० % नमक के घोल में बीज डुबोकर तुरंत स्केलेरेशिया को स्वयं अलग कर देना चाहिए तथा शुद्ध पानी से४-५ बार प्रयोग किया जाय | खेत में गर्मी की जुताई अवश्य करें |
२. फसल से फुल जाते ही निम्न फफूंद नाशकों में से किसी एक का छिड़काव ५-७ दिन के अंतर पर्कारना चाहिए |
(अ) जीरम ८०% घुलनशील चूर्ण २.०० कि.ग्रा. अथवा जीरम २७% तरल को ३.० ली. |
(ब) मैन्कोजेब घुलनशील चूर्ण २.० कि. ग्रा./ हे. |
(स) जिनेब ७५ % घुलनशील चूर्ण २.० कि.ग्रा. / हे. |
२. बाजरा का कंदुआ :
पहचान: कंदुआ रोग से बीज आकर में बड़े गोल अंडाकार हरे रंग के होते हैं, जिसमे पीला चूर्ण भरा रहता है |
उपचार:
१. बीज शोधित कर के बोना चाहिए |२. एक ही खेत में प्रति वर्ष बाजरा की खेती नहीं करनी चाहिए |
३. रोग ग्रसित वालिओं को साबधानीपूर्वक निकलकर जला देना चाहिए |