बीज शोधन
नर्सरी डालने से पूर्व बीज शोधन अवश्य करे लें। इसके लिए जहां पर जीवाणु झुलसा या जीवाणु धारी रोग की समस्या हो वहॉ पर २५ किग्रा. बीज के लिए ४ ग्राम स्ट्रेप्टोसाक्लीन या ४० ग्राम प्लान्टोमाइसीन को मिलाकर पानी में रात भर भिगो दे। दूसरे दिन द्दाया में सुखाकर नर्सरी डाले। यदि शाकाणु झुलसा की समस्या क्षेत्रों में नही है तो २५ किग्रा. बीज को रातभर पानी में भिगोने के बाद दूसरे दिन निकालकर कर अतिरिक्त पानी निकल जाने के बाद ७५ ग्राम थीरम या ५० ग्राम कार्बेन्डाजिम को ८-१० लीटर पानी में घोलकर बीज मे मिला दिया जायें इसके बाद द्दाया में अकुरित करके नर्सरी में डाली जायें। बीज शोधन हेतु बायोपेस्टीसाइड का प्रयोग किया जायें।
बीज की मात्रा तथा बीजोपचार
प्रजाति के अनुसार बासमती धान के लिए २५-३० किग्रा. बीज की मात्रा प्रति हेक्टर पर्याप्त होती है। १.५ ग्राम कार्बेन्डाजिम /किग्रा. बीज को उपचारित करके बोना चाहिये।
पौध तैयार करना
बासमती धान की पौध तैयार करने के लिए उपजाऊ अच्द्दे जल निकास तथा सिचाई स्रोत के पास वाले खेत का चयन करना चाहिए। ७०० वर्ग मी. क्षेत्रफल ,में १ हेक्टेयर खेत की रोपाई के लिए पौघ तैयार की जा सकती है। बीज की बुंवाई का उचित समय जल्दी पकने वाली प्रजातियॉ के लिए जून का दूसरा पखवाडा है तथा देर से पकने वाली प्रजातियॉ की बुवाई मध्य जून तक कर देनी चाहिये।
पौधशाला में सडा हुआ गोबर या कम्पोस्ट खाद को मिट्टी में अच्द्दी प्रकार मिला देना चाहिये। खेत को पानी से भरकर दो या तीन जुताई करके पाटा लगा देना चाहियें। खेत को छोटी-छोटी तथा थोडा ऊची उठी हुई क्यारियों में बाँट लेना चाहिए। बीज की बुवाई से पहले १० वर्ग मी. क्षेत्र में २२५ ग्राम अमोनिया सल्फेट या १०० ग्राम यूरिया तथा २०० ग्राम सुपर फास्फेट को अच्द्दी तरह मिला देना चाहिये। आवश्यकतानुसार निराई, गुडाई, सिचाई, कीट, रोग तथा खरपतवार की रोकथाम का उचित प्रबन्धन करना चाहियें। खेत मे ज्यादा समय तक पानी रूकने नही देना चाहियें।
रोपाई के लिए खेत की तैयारी एवं रोपाई का समय
ग्रीष्मकालीन जताई के बाद खेत में रोपाई के १०-१५ दिन पूर्व पानी भरकर देने से पिद्दली फसल के विशेष नष्ट हो जाते है। खेती की मिट्टी को मुलायम व लेहयुक्त बनाने के लिए पानी भरे खेत की २-३ जुताई करके पाटा लगाकर खेत को समतल कर देना चाहिये। बासमती धान की रोपाई का समय इसकी उपज तथा उपज गुणवत्ता को प्रभावित करता है। २५-३० दिन की पौध बासमती धान की रोपाई के लिए उपयुक्त होती है। बासमती धान को पूसा बासमती-१ प्रजाति को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जुलाई के प्रथम सप्ताह में लगा लेना चाहिये तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस प्रजाति को १५ जुलाई तक रोपना चाहिये। बासमती धान की टाइप ३, बासमती ३७०, तराखडी बासमती आदि प्रजातियो को पश्चिम उत्तर प्रदेश में जुलाई के अन्तिम सप्ताह व पूर्वी उत्तर प्रदेश में अगस्त के प्रथम पक्ष मे लगाना चाहियें। जुलाई माह बासमती धान की रोपाई के लिए उत्तम माना जाता है। २०x१५ सेमी. की दूरी पर दो से तीन पौधों की रोपाई उचित रहती है। देर से रोपाई करने पर १५x१५ सेमी. की दूरी पौध की रोपाई करनी चाहिये। परम्परागत बासमती प्रजातियो को पानी भराव वाले खेतो में नही बोना चाहिये। इसमें धान की गुणवत्ता पर वितरीत प्रभाव पडता है।