राई-सरसों के प्रमुख कीट:
सरसों की आरा मख्खी:
यह काले चमकदार रंग की घरेलू मख्खी से आकर में छोटी लगभग ४-५ मिली. लम्बी मख्खी होती है | मादा मख्खी का अंडरोपक आरी के आरी के आकर का होने के कारण इसे आरा मख्खी कहते है | इस कीट की सुड़ियाँ काले स्लेटी रंग की होती है | ये पत्तियों को किनारे से अथवा विभिन्न आकर के छेद बनाती हुई बहुत तेजी से खाती हैं | भयंकर प्रकोप की दशा में पूरा पौधा पत्ती बिहीन हो जाता है |
चित्रित कीट की पहचान:
प्रौढ़ ५ से ८ मिमी. लम्बे चमकीले काले नारंगी एवं लाल रंग के चकत्तेयुक्त होते है | सिर तिकोना छोटा, आँखे काली काली तथा उभरी हुई होती है | इसके प्रौ तथा शिशु अपने चुभने तथा चूसने वाले मुखंगो को पौधों की कोमल पत्तियों, शाखाओ, तानो फूलो एवं फलियों में चुभाकर रस चूसते है जिससे प्रकोपित पत्तियों किनारों से सुखकर गिर जाती है प्रकोपित फलियों में दाने कम बनते हैं और इनमे तेल की मात्रा भी कम निकलती है | इसका आक्रमण अक्तूबर से फसल कटकर कह्लिहन में जाने तक कभी भी हो सकता है |
बालदार सूंडी:
यह पीले अथवा नारंगी रंग के काले सिर वाली सूंडी होती है | इसका पूरा शारीर घने काले बालों से ढका होता है इसकी सुंडियां ही फसल को नुकसान पहुचती है | ये प्रारम्भ में झुण्ड में तथा बाद में एकल रूप में पौधों की कोमल पत्तियों को खाकर नुकसान पहुचती है |
गोभी की तितली:
प्रौढ़ तितली पीताभ श्वेत रंग की होती है तथा शारीर के पृष्ठ तल का रंग धुएं जैसा होता है | इसकी नवजात सुंडियां झुण्ड मैं पत्तियों की सतह को प्रारम्भ में खुरच कर खाती है तथा बाद में पत्तियों के किनारे से खाना आरम्भ कर के अन्दर की तरफ खाती है | अधिक प्रकोप की दशा मैं पूरा का पूरा पौधा खा लिया जाता है |
पत्ती में सुरंग बनाने वाला कीट खनक कीट (खनक कीट):
इस कीट का प्रौढ़ छोटी काले रनग की मख्खी होती है इसकी मादा अपने अण्डरोपक को पत्तियों में धंसाकर अण्डे देती है जिससे नवजात सूंडी निकल कर पत्तियों में सुरंग बना खाती है जिसके फलस्वरूप पत्तियों में अनियमित आकर क्रके सफेद रंग की रेखाएं बन जाती हैं |
माहू:
यह पंखहीन अथवा पंख युक्त हल्के स्लेटी या हरे रंग के १.५-३.० मिमी. लम्बे चुबहने एवं चूसने मुखांग छोटे कीट होते है इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ पौधों के कोमल तनो, पत्तियों ,फूलो, एवं नईफलियों से रस चूसकर उसे कमजोर क्षतिग्रस्त करते ही है | साथ ही साथ रस चूसते है इस समय पत्तियों पर मधुस्राव भी करते है इस मधुस्राव पर काले कवक का प्रकोप हो जाता है तथा प्रकाश शंश्लेषण की किर्या बाधित हो जाती है | इस कीट का प्रकोप दिसंबर -जनवरी से लेकर मार्च तक बना रहता है |
आर्थिक क्षति स्तर:
क्र. सं.
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कीट का नाम
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फसल की अवस्था
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आर्थिक कसती स्तर
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१.
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आरा मख्खी
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बनास्पतिक अवस्था
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एक सूंडी प्रति पौधा
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२.
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पत्ती खनक
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बनास्पतिक अवस्था
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२ से ५ सूंडी/कृमिकोष प्रति पौधा
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३.
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बालदार सूंडी
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बनास्पतिक अवस्था
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१०-१५ प्रतिशत प्रकोपित पत्तियां
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४.
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माहू
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बन्स्पतिक अवस्था से फुल फली आने समय तक
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३०-५० माहू १० सेमी मध्य ऊपरी शाखा पर या ३० प्रतिशत माहू से ग्रषित पौधे
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एकीकृत प्रबंधन :
- गर्मी की गहरी जुताई करनी चाहिए |
- २० अक्तूबर तक बुवाई कर देनी चाहिए |
- संतुलित उर्वरको का प्रयोग करना चाहिए क्योंकी नत्रजन की अधिक मात्रा एवं पोटाश की कमी होने पर माहू से हनी होने की संभावना बढ़ जाती है |
- फसल के बुवाई के चौथे सप्ताह में सिंचाई करने से चुसक कीट का प्रकोप कम हो जात है |
- प्रारम्भ में सप्ताह के अन्तराल पर एवं माहू का प्रकोप दिखाई देते ही सप्ताह में दो बार फसल का निरिक्षण करना चाहिए |
- आरा मख्खी की सुंडियों को प्रातः इकठ्ठा कर मार देना चाहिए |
- झुण्ड में खा रही बालदार सूंडी, गोभी की तितली आदि की सुंडियों को पकड़ कर मार देना चाहिए |
- प्रारम्भ में माहू प्रकोपित शाखाओं को तोड़कर भूमि में गद दे |
- माहू कलो प्राकृतिक शत्रुओं का संरक्षण करना चाहिए |
- फिर भी निरीक्षणमें उपरोक्त में से कोई भी कीट आर्थिक क्षति स्तर पर पहुच जाता हैं तो निम्नलिखित कीटनाशियों में से किसी एक को उनके सामने लिखित मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से बुरकाव अथवा ७००-८०० लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें |
आरा मख्खी बालदार सूंडी एवं गोभ की तितली :
१. मैलाथियान ५ प्रतिशत धूल २० से २५ किग्रा.या
२. इन्डोसल्फान ४ प्रतिशत धूल २०से २५ किग्रा. या
३. इन्डोसल्फान ३५ ई. सी. १.२५ लीटर या
४. मैलाथियान ५० ई. सी. १.५ लीटर
५. डी. डी. बी. पी. ७६ एस. एल.०.५ लीटर
चुसक कीट एवं माहू :
निम्नलिखित कीट नाशियों में किसी एक को उनके सामने लिखित मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से बुरकाव अथवा ७००-८०० लीटर पानी में घोलकर छिड़काव सायंकाल करना चाहिए |
१. डाईमेथोएट ३० ई. सी. १ लीटर या
२.मिथाइल ओं डेमेटान२५ ई. सी. या १ लीटर
३.इन्डोसल्फान ३५ ई. सी. १.२५ लीटर या
४.फेंटोंथियान ५० ई. सी. १ लीटर या
५.क्लोरोपायरीफास २० ई. सी.