तना द्देदक:
पहचान:
इस कीट की सुड़ियाँ तनों में द्देद करके अन्दर ही खाती रहती है। जिससे मृतभोग बनता है। और हवा चलने पर बीच से टूट जाता है।
उपचार:
१. इसकी रोकथाम हेतु बुवाई के २० से २५ दिन बाद लिन्डेल ६ प्रतिशत गे्रन्यूल २० किलोग्राम अथवा कार्बोयूरान ३ प्रतिशत ग्रेन्यूल २० किलोग्राम अथवा (लिन्डेल + कार्बराइल) (सेवीडाल ४.४ जी.) २५.०० किलोग्राम प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करना चाहिये।
२. बुवाई के १५-२० दिन के बाद निम्न में से किसी एक रसायन का छिड़काव करना चाहियें ।
(अ) इमिडाक्लोप्रिड ६ मिली./किग्रा. बीज की दर से बीज शोधन करें ।
(ब) कार्बेरिल ५०% घुलनशील चूर्ण १.५ किग्रा./ हे. ।
(स) फेनिट्रोथियांन ५० ई .सी. ५००-७०० मिली./हे. ।
(द) क्यूनालफास २५ ई.सी. २ लीटर/हे.।
(य) इन्डोसल्फान ३५ ई.सी. १.५ लीटर/हे.।
(र) ट्रइकोग्रामा परजीवी ५०००० प्रति हे. की दर से खेत मे अंकुरण के ८ दिन बाद ५-६ दिन के अंतर पर दुहरायें, खेत में द्दोड़ना चाहिये।
पत्ती लपेटक कीट:
पहचान:
इस कीट की सुड़ियाँ पत्ती के दोनो किनारों को रेशम जैसे सूत से लपेटकर अंदर से खाती है।
उपचार:
उपयुक्त कीटनाशक रसायनों में २अ से २द तक किसी एक का प्रयोग करना चाहियें।
टिड्डा :
पहचान:
इस कीट के शिशु तथा प्रौढ दोनो ही पत्तियों को खाकर हानि पहुंचाते है।
उपचारः
इसकी रोकथाम हेतु मिथाइल पैराथियान २ प्रतिशत २०-२५ किलोग्राम का बुरकाव प्रति हेक्टर करना चाहियें।
भुड़ली (कमला कीट):
पहचान:
इस कीट की गिडारे पत्तियों को बहुत तेजी से खाती है। और फसल को काफी हानि पहुचाती है। इसके शरीर पर रोये होते है।
उपचार:
इसकी रोकथाम हेतु निम्न में से किसी एक रसायन का बुरकाव या छिड़काव प्रति हेक्टर करना चाहियें।
१. मिथाइल पैराथियान २ प्रतिशत चूर्ण २० किलोग्राम।
२. इन्डोसल्फान ४ प्रतिशत धूल २० किलोग्राम।
३. क्यूनालफास १.५ प्रतिशत धूल २० किलोग्राम।
४. इन्डोसल्फान ३५ ई.सी. १.२५ लीटर।
५. डाइक्लोरवास ७० ई.सी. ६५० मि. लीटर।
६. क्लोरपायरीफास २० ई.सी. १.० लीटर।