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Disease

तना विगलन : धान

तना विगलन :

रोगकारी जीव: हेल्मिन्थोस्पोरियम सिग्माइडियम, वैरा इरेग्युलट (लेप्टोस्फेरिया साल्विनिक या मैग्नापोर्थे साल्विकी)

  • उच्च नाइट्रोजन स्तर तना विगलन बढ़ाते है परन्तु पोटेशियम अत्यधिक नाइट्रोजन के हानिकारक प्रभावों को घटाता है।
  • फॉस्फोरस भी रोग को उत्तेजित करता है परन्तु कम प्रभाव के साथ।

भूरा पर्ण चित्ती : धान

भूरा पर्ण चित्ती :

रोगकारी जीव : हेल्मिन्थोस्पोरियम ओराइजी (कॉक्लियोबोलस मियाबीनस)

  • सिलिका, पौटेशियम, मैंगनीज या मैग्नीशियम या हाइड्रोजन सल्फाइड उपस्थिति में कमी रखने वाली मृदाएं इस रोग के लिए अनुकूल होती हैं।

मिथ्या कंड :

मिथ्या कंड

रोगकारी जीव : आस्टिलेजिनाइडीज विरेन्स

लक्षण

  • कवक पुष्पगुच्छ के अलग-अलग दानों के पीले या हरा-सा मखमली बीजाणु कंदुकों में परिवर्तित करता है।
  • ये बीजाणु कंदुक झिल्ली से ढके होते है जो आगे वृध्दि के साथ फट जाती है।

पर्णच्छद अंगमारी : धान

पर्णच्छद अंगमारी

रोगकारी जीव : राइजोक्टोनिया सोलानी (थैनेटेफोरस कुकुमेरिस)

  • उच्च आर्द्रता एवं गर्म तापमान इस रोग के लिए अनुकूल होते है।
  • निकट रोपाई एंव भारी उर्वरीकरण की रोग के आपतन को बढ़ाने की प्रवृति होती है। 

धान प्रध्वंस या सहसामारी रोग

धान प्रध्वंस या सहसामारी रोग :

रोगकारी जीव : पिरीकुलेरिया ओराइजी (मैग्नापोर्थे ग्रिसा)

  • यह वृध्दि की किसी अवस्था पर पौधों को संक्रमित करता है और पौधों की वृध्दि रोकता है।
  • यह परिपक्व पुष्पगुच्छों की संख्या, अलग-अलग दानों का भार और धान का भार एवं गुणवत्ता को घटाता है।

जीवाणु अंगमारी : धान

जीवाणु अंगमारी :

रोगकारी जीव : जैन्थोमोनास ओराइजी सीवी ओराइजी

  • 300 से0 तक उच्च तापमान रोग विकास के लिए अनुकूल होता है जबकि 200 से0 तापमान पर घट जाता है।
  • क्षतचिह्न बढ़ जाते है और अधिक उँचे तापमान पर पत्ती अधिक तेजी से मर जाती है।

Management of white tip nematode in Rice


White tip nematode: Aphelenchoides besseyi Christie

Local name: Bili Tudi Roga

Management of Rice tungro

Rice: tungro

Local name: Tungro roga

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